Monday, May 11, 2020

वो चला जा रहा है....

वो चला जा रहा है.....वो चला जा रहा है.....पसीने से लथपथ वो चला जा रहा है.....भूख-प्यास से व्याकुल वो चला जा रहा है......वो पैदल, वो सायकल के पहिये पे चला जा रहा है......वो ट्रक, वो टेम्पो में ठूंसा चला जा रहा है....... वो मजदूर है, जो चला जा रहा है.....वो अपने घर-गांव चला जा रहा है।

त्रासद भरी ये कहानी है पलायन की.....जो चलचित्र की माफिक सड़कों पर दौड़ी-भागी चले जा रही है।जबलपुर से गुजरने वाले हाईवे पर पलायन की दर्दभरी कहानी के चित्र हर वक्त दिख जाते है।नागपुर से जबलपुर, फिर सतना,रीवा......और उससे भी आगे प्रयागराज,बनारस,गोरखपुर........और भी आगे बिहार,झारखंड के कई शहरों के लिए सड़क पर निकल पड़ें हर मजदूर की एक ही कहानी है....भूख.

हाईवे पर दौड़ते ट्रकों में ठूंस-ठूँस कर भरे मजदूर चले जा रहे है।सायकिल पर पूरी गृहस्थी लेकर मजदूर चले जा रहे है। सड़कों पर चले जा रहे इन मजदूरों को अभी कोरोना नहीं भूख मारे दे रही है।करीब 50 दिन लॉक डाउन ने उनका रोजी-रोजगार सब छीन लिया तो अब वे कैसे भी अपने घर-गांव जाना चाहत है।

न कोई सोशल डिस्टेंसिंग और न खाने-पीने का ठिकाना लेकिन तो भी चले जा रहे है।कोई मुम्बई से आ रहा है तो कोई नासिक से.....कोई साउथ के किसी शहर से छिपते-छिपाते चला आ रहा है।सड़कों पर पलायन की त्रासदी के ये मंजर कई दिनों से देखे जा रहे है और कई दिनों तक देखे जाएंगे।हिंदुस्तान में कोरोना के खतरे पर भूख भारी पड़ती दिख रही है।