Friday, June 18, 2010

धर्मं की आड़ में नशे का सौदा

वो साधू के वेश में शैतान निकला.......लोग उसे पूजते थे और वह उन्हें मौत बांटता था....... वो धर्म की आड़ में नशे का सौदा कर रहा था.......लेकिन कहते है कि हर बुराई का कभी न कभी अंत होता है और बुरे काम करने वाले को सजा भी जरूर मिलती है..... जबलपुर के मौनी बाबा भगवा वस्त्रों की आड़ में भी पंद्रह साल से स्मेक और ब्राउन शुगर बेचते थे पर किसी को उन पर शक नहीं हुआ......पर आज वे पकडे गए और भगवा के पीछे छिपा उनका काला चेहरा सबके सामने आ गया।पुलिस ने उन्हें उत्तर प्रदेश के दो लोगों के साथ ब्राउन शुगर का सौदा करते रंगे हाथ पकड़ा. उनके पास से आधा किलो ब्राउन शुगर पकड़ी गयी. ये मौनी बाबा अपनी मौन तपस्या के कारण जबलपुर के साथ आस-पास के इलाकों में भी पूजे जाते थे लेकिन आज उनकी सारी पोल खुल गई ....मृत्युंजय महाराज उर्फ़ मौनी बाबा नशे के बहुत बड़े सौदागर निकले...पुलिस ने उन्हें आधा किलो ब्राउन शुगर के साथ उस वक्त रंगे हाथ पकड़ा जब वो इलाहाबाद से आये दो लोगो से उसे खरीदने का सौदा कर रहे थे.

Monday, June 14, 2010

हाय ये मौन

ये सवाल आज हर भारतीय के मन में कौंध रहा है कि क्या मजबूरी थी......... वारेन एंडरसन को देश से भगाने के पीछे........ कौन इसके लिए जिम्मेदार है........और क्यों नहीं मुंह खोल रहे है भारतीय राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अर्जुन सिंह.......यह मौन क्यों.......क्या पंद्रह हजार से ज्यादा निरीह लोगों की मौत और उनके परिवारों की चीख भी उनके अंतःकरण में खलबली नहीं मचा रही है या फिर यह मौन ही उनके अपराध को छिपाने का हथियार है.
खैर अर्जुन सिंह से तो बहुत से लोग ये जवाब मांग रहे है.....हमें जब पता चला कि वारेन एंडरसन को सरकारी गाड़ी में व्हीआईपी मेहमान बनाकर एअरपोर्ट तक ले जाने वाले भोपाल के तब के पुलिस कप्तान स्वराज पुरी इन दिनों जबलपुर में ही है तो हमारे मन में भी ये सवाल उठने लगा कि किसके आदेश पर तब के कलेक्टर मोती सिंह को लेकर स्वराज पुरी एंडरसन को लेकर एअरपोर्ट दौड़ पड़े थे........हमने सोचा कि शायद इसका जवाब उनके पास जाने से मिल जाये......हालाँकि मौका ऐसा नहीं था कि भाई की मौत का शोक मना रहे किसी व्यक्ति के पास बीती बातों को कुरेदने के लिए इस तरह जाया जाये......लेकिन पंद्रह हजार मौतों के गुनेहगार को देश से भगाने के गुनाह में शरीक व्यक्ति से जवाब मांगने के लिए कोई भी अवसर जायज हो सकता है...... और यही सोच कर कुछ साथियों के साथ हम मन में कई अनसुलझे सवालों की सूची बना कर पहुँच गए स्वराज पुरी से मिलने......जैसी की उम्मीद थी भाई की मौत के बहाने से वे हमारे सवालों से बच जायेंगे......वही हुआ ......यहाँ भाई की मौत के बहाने धारण किये मौन को अपने अपराध को छिपाने का हथियार बना लिया गया.
इसी बीच ये भी पता चला कि तीन हजार मौतों की एफआईआर लिखने वाले हनुमानगंज थाने के तब के प्रभारी सुरेन्द्र सिंह भी जबलपुर के ही है......तो लगा क्यों न उन्ही से बात करके ये समझा जाये कि यूनियन कार्बाइड से गैस रिसने के बाद भोपाल के क्या हालात थे......लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए की उन्ही के थाने में दर्ज गैर जमानती अपराध में वारेन एंडरसन को सिर्फ पच्चीस हजार के निजी मुचलके पर जमानत दे दी गयी थी.......और उसको भगाने के अपराध में सुरेन्द्र सिंह भी शामिल है.........इस समय सागर में एस पी (अजाक) हो गए सुरेन्द्र सिंह की खोजबीन की गयी तो वे कहीं नहीं मिले.......न सागर में और न ही अपने गृह नगर जबलपुर में..... उनके मोबाईल बंद है और दफ्तर से बताया गया कि साहब एक हफ्ते की छुट्टी पर है......उनकी कोई लोकेशन भी नहीं मिल रही है......वे छुट्टी के बहाने मौन हो गए है.

Saturday, June 12, 2010

तो नेताओं की कठपुतली होते

लगता है कि सीबीआई के निदेशक अश्विनी कुमार मीडिया में भोपाल गैस त्रासदी की खबरें पढ़ और देख-सुनकर पक से गए है......तभी तो वे जबलपुर में पत्रकारों को नसीहत देते दिखे कि क्या अभी भी पच्चीस साल पुराने मामले का पोस्ट मार्टम करने में जुटे हो....go ahead....आगे बढ़ो और ये चिता करो की भविष्य में इस तरह की त्रासदी ना हो और हो भी तो पीड़ितों को जल्द से जल्द राहत मिल सके.......भाई सीबीआई निदेशक को कौन समझाए कि यदि मीडिया अपनी आवाज ना मुखर करे तो ये नेता ऐसे ही लाशों का सौदा करते रहेंगे....और ये मीडिया न हो तो जीतनी स्वतंत्रता से सीबीआई निदेशक फ़िलहाल काम कर रहे है........नेता उतनी भी स्वतंत्र उन्हें न दे......और पूरी तरह से अपनी कठपुतली बना कर अपनों को बचाने और दुश्मनों को निपटाने की नौकरी बजवाएं.... वैसे सीबीआई निदेशक अश्विनी कुमार ने ये मान कर बड़ी मेहरबानी कर दी कि ट्रायल और अभियोजन के दौरान उनकी संस्था की ओर से कमी रह गयी.....लेकिन आगे के लिए उनका दिया ये भरोसा कितना सही होगा कि अब कोई भी जाँच छः माह में पूरी करके दोषियों को दो साल में सजा दिलवा देंगे, ये वक्त ही बताएगा.

Monday, June 7, 2010

मी लॉर्ड...क्षमा कीजियेगा

हमें याद है,.....जब भोपाल गैस त्रासदी हुयी थी.....उस वक्त मैं सातवीं कक्षा का विद्यार्थी था और अर्जुन सिंह ने न जाने क्या सोचते हुए गैर बोर्ड कक्षाओं के छात्रों को जनरल प्रमोशन दे दिया था.बिना इम्तिहान के पास होने पर मुझे उस वक्त तो गैस त्रासदी ने भी वैसी ही ख़ुशी पहुंचाई थी, जैसी आज भोपाल के गुनाहगारों को हुयी है......लेकिन पंद्रह हजार से ज्यादा मौतों पर कोई खुश कैसे हो सकता है.....वो तो नादानी थी वर्ना आज तो रोने को जी चाह रहा है.....मी लॉर्ड...क्षमा कीजियेगा, आप की चाहे जो मजबूरी रही हो लेकिन ये फैसला हमें किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं है.युनियन कार्बाइड हादसे के वास्तविक दोषी तो वे नेता है जिन्होंने पंद्रह हजार कत्ल के गुनेहगार वारेन एन्देर्सन को देश से भाग जाने दिया.....वैसे पीड़ितों का आक्रोश और क्रंदन देख कर आज की रात तो उन नेताओं को भी नींद नहीं आएगी.

प्रदीप को सलाम

जबलपुर-दमोह के बीच सड़क हादसे में पांच लोगों की मौत हो गयी और आधा दर्जन लोग घायल हो गए.....ये घटना है तो बेहद दुखदायी लेकिन केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन की मानवीयता ने मन को जरूर तसल्ली पहुंचाई.......वैसे प्रदीप जैन निकले तो थे उधार का धर्म करने लेकिन उन्होंने नगद का धर्म करके सचमुच में मानवता का धर्म निभाया.......जैन संत तरुण सागर जी के दर्शन के लिए तेंदुखेडा जा रहे केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन ने जब इस दुर्घटना में घायल लोगों को सड़क तड़पता देखा तो उन्होंने तुरंत अपना काफिला रोक दिया और घायलों को अपनी कार में लेकर जबलपुर रवाना हो गए ताकि उन्हें जल्द से जल्द बेहतर उपचार मिल सके......एक वक्त तो परोपकार करने निकले प्रदीप जैन की खुद की जान पर बन आई जब घायलों को जल्दी अस्पताल पहुँचाने की हड़बड़ी में उनकी कार भी दस फीट गहरे गड्ढे में चली गयी..... प्रदीप जैन को हल्की चोट भी आई लेकिन इससे उनके चहरे पर सिकन तक नहीं आई और पीछे चल रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं की कार में घायल को बिठाकर उन्होंने फिर उसी रफ़्तार से दौड़ लगा दी..केंद्रीय मंत्री के प्रयासों से पांच घायलों को जबलपुर लाकर बेहतर इलाज दिया जा सका जिससे उनकी जान बच गयी......लोगों को याद होगा कुछ समय पूर्व तमिलनाडु के एक मंत्री ने सड़क पर तड़पते एक पुलिस अधिकारी की कोई मदद नहीं की थी जिससे उसकी जान चली गयी....तभी तो केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन को सलाम करने का मन करता है...............