Sunday, July 11, 2010

ऑक्टोपस बाबा के बहाने.......

ये सपेरों और नागाओं का देश है......यहाँ तंत्र -मंत्र और काला जादू होता है......रहस्य और रोमांच से भरा पड़ा है पूर्व का ये देश......पश्चिम के लोगों के यही विचार हुआ करते थे भारत के प्रति...... उनकी ये धारणा आज भी नहीं बदली है...... तो फिर हम ऑक्टोपस बाबा को क्या कहेंगे,जिसकी आजकल पूरी दुनिया में धूम है....... क्या ये अंधविश्वास नहीं है और क्या पूरा पश्चिमी जगत इसी अंधविश्वास की गिरफ्त में नहीं है?....ये तो विज्ञानं को ही सब कुछ मानने वाले लोग है....फिर ऐसा क्या हुआ कि पूरा पश्चिम एक ऑक्टोपस की भविष्यवाणियों पर विश्वास करने लगा .....फीफा के सबसे प्रतिष्ठित विश्व कप फुटबाल में टीमों और उसके खिलाडियों के प्रदर्शन की बजाय ऑक्टोपस बाबा की भविष्यवाणी जीत की गारंटी मानी जाने लगी......ये संयोग हो सकता है कि ऑक्टोपस बाबा की अभी तक कि भविष्यवाणी सही साबित हुयी है और ये भी संयोग हो सकता है कि रविवार की आधी रात को होने वाले मुकाबले में भी ऑक्टोपस की भविष्यवाणी के अनुसार स्पेन नया चैम्पियन हो जाये.....हंसी तो तब आती है जब जर्मनी के लोग ऑक्टोपस बाबा को मारने और स्पेन के राष्ट्राध्यक्ष उसको सुरक्षा देने की बात करते है.....खैर आदमी कोई भी हो.....चाहे उसकी चमड़ी गोरी हो.....या फिर काली हो ....जो भी उसके मन मुताबिक होगा....जो भी उसकी सहूलियत का होगा, उसे ही वो सही मानता है......तो फिर हमारे देश में सड़क किनारे बैठ कर तोते से भविष्य बताने वाले पंडित जी या फिर नंदी स्वरुप बैल से आने वाले कल का हाल बताने वाले ज्योतषी क्या बुरे है.....उनके बारे में गलत धारणा पालने की भूल अब शायद पश्चिम के लोग ना कर पाए.वैसे हमारे देश में भविष्यवाणी करने के लिए बड़ा ही तार्किक विज्ञानं है और पश्चिम के लोग चाहे तो इसका लाभ भी ले सकते है....और पश्चिम के भाइयों....हमारा ये दावा है कि ऑक्टोपस बाबा तो केवल फुटबाल में जीत-हार ही बता रहे है,हमारा ज्योतिष विज्ञानं तो आपके जीवन की जीत-हार तक को सटीक ढंग से बता देगा.

Monday, July 5, 2010

......देखो भाई देखो

......देखो भाई देखो.....धोनी की शादी का तमाशा देखो......वो भी लाइव.......सिर्फ हमारे चैनल पर.....यदि हिंदी के देश के नामी-गिरामी चैनलों को धोनी की शादी की कव्हरेज का प्रोमो बना कर चलाना होता तो वो कुछ इसी तरह की लाइनों का इस्तेमाल करते.खबर को रबर की तरह खींचने की महारत तो इन चैनलों को पहले से ही हासिल है,अब तो प्रतिस्पर्धा ये है कि सेलिब्रिटी के निजी जीवन में कौन कितना झांक सकता है.....और इसी भेड़चाल के चक्कर में चैनलों के कर्णधार ये नहीं समझ पा रहे है वो खबर बेचने के बाजार में खुद को जमीर को नीलम कर रहे है.....धोनी की बारात में किसकी मशाल जलेगी और उनकी वरमाला में कौन से फूल लगे है.....ये खबर कैसे हो सकती है...